Friday, July 22, 2011

बदलाव

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है जिंदगी  वही ,ज़िंदगी के मायने बदल गए,
हैं चेहरे वही पुराने पर आईने बदल गए॰

है सूरज वही है चाँद वही , है दिन वही है रात वही,
है  दुनिया वही , पर दुनियादारों के मिजाज बदल गए॰

है साकी वही है शराब वही, है पैमाना औ मयखाना वही 
है हमप्याला वही , नशे के पर अंदाज बदल गए॰

वही पैर वही जिस्म, वही ताकत वही हिम्मत,
है दौड़ का जज़्बा वही, पर दौड़ के मैदान बदल गए॰

है शोहरत वही, है शराफत वही, है इज्ज़त औ मोहब्बत वही,
कायम रही है मंजिलें पर रास्ते बदल गए॰

है सच वही है झूठ वही, है पुण्य वही है पाप वही,
है  धरम औ इंसाफ वही, पर इनके तराजू बदल गए ,
.......रजनीश (13.12.93)

8 comments:

Rajesh Kumari said...

jindgi vahi hai par mayne badal gaye.bahut khoob achchi rachna.

रश्मि प्रभा... said...

है सूरज वही है चाँद वही , है दिन वही है रात वही,
है दुनिया वही , पर दुनियादारों के मिजाज बदल गए॰... parivartan nirantar

Dr (Miss) Sharad Singh said...

है सच वही है झूठ वही,है पुण्य वही है पाप वही,
है धरम औ इंसाफ वही,पर इनके तराजू बदल गए ,


यथार्थपरक बेहतरीन ग़ज़ल ...

रविकर said...

सुन्दर भावाभिव्यक्ति ||
बधाई ||

Saru Singhal said...

First two lines so touching. Change is constant and the way it is making such emotionless is not a good sign for our social health.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

वही पैर वही जिस्म, वही ताकत वही हिम्मत,
है दौड़ का जज़्बा वही, पर दौड़ के मैदान बदल गए॰

बहुत सुन्दर रचना ..

Barkha Dhar said...

Bahut Khuub Likha hia Rajneesh ji. A very nice poetry blog. I am following your blog. You may like to follow mine.
Thanks
Barkha Dhar
http://dharbarkha.blogspot.com/2011/07/if-education-was.html

Bhargav Bhatt said...

"hai darmiyaan vahi.... par fasle badal gaye"

rajnesshji.. first time on ur blog, padhke bahot maja aaya...

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....