Sunday, August 4, 2013

दोस्त है वो ...


वो कुछ कहता नहीं,
और मैं सुन लेता हूँ,
क्योंकि उसकी बातें
मेरे पास ही रखी हैं,
उसकी आवाज़ में झाँककर
कई बार अपने चेहरे पर चढ़ी धूल
साफ की है मैंने ,
अक्सर उसकी वो आवाज़,
वहीं पर सामने होती है
जहां तनहा खड़ा ,
मैं खोजता रहता हूँ खुद को,
उस खनक में ,
रोशनी  होती है एक
जो करती है मदद,
और मेरा हाथ पकड़
मुझे ले आती है मेरे पास,
उसकी आवाज़ फिर  सहेजकर
रख लेता हूँ....
दोस्त है वो मेरा .....
.............रजनीश (10.02.2011)
reposted on friendship day 

5 comments:

विभूति" said...

दोस्ती कि खुबसूरत अभिवयक्ति.....

Anita said...

मित्रता दिवस की शुभकामनायें ! भाव पूर्ण रचना..

मेरा मन पंछी सा said...

सुन्दर रचना..
मित्रता दिवस की शुभकामनायें ...
:-)

प्रवीण पाण्डेय said...

सच कहा आपने, ऐसी ही होती है मित्रता

अभिव्यंजना said...

बहुत सुंदर रजनीश महोदय ! आज बहुत दिनों बाद ब्लॉग पर आना सार्थक रहा |

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....