लम्हा-दर-लम्हा
लिखती ज़िंदगानी
हर दिन एक कहानी
थोड़ी सी आरजू थोड़े से अरमां
थोड़ी सी प्यास थोड़ा सा पानी
थोड़ी सी कसमें थोड़े से वादे
थोड़ी सी नई थोड़ी पुरानी
हर दिन एक कहानी
थोड़ी सी जीत थोड़ी सी हार
थोड़ा सा प्यार थोड़ी तकरार
थोड़ा सा गम थोड़ी खुशी
थोड़ी गुलामी थोड़ी मनमानी
हर दिन एक कहानी
थोडा सा दर्द थोड़ा सा जोश
थोड़ी मदहोशी थोड़ा सा होश
थोड़ी बातूनी थोड़ी खामोश
थोड़ी अनजानी थोड़ी पहचानी
हर दिन एक कहानी
थोड़ी मोहब्बत थोड़ी इबादत
थोड़ी हिमाकत थोड़ी शरारत
थोड़ी बगावत थोड़ी अदावत
थोड़ी तेरी थोड़ी मेरी जुबानी
हर दिन एक कहानी
थोड़ा न थोड़ा जादा न जादा
कभी आधा पूरा कभी पूरा आधा
थोड़ी सी पूरी थोड़ी अधूरी
थोड़ी संजीदा थोड़ी बेमानी
हर दिन एक कहानी
...........रजनीश ( 22.03.15)
बस एक दिन
कर दिया उसके नाम
जिसका एहसानमंद है
मेरा हर दिन
बस एक दिन
क्यूँ मनाता हूँ उसका उत्सव
जिसकी वजह से उत्सव
मेरा हर दिन
बस एक दिन
करता हूँ बखान जिसके वजूद का
जिसकी देन है मेरा वजूद
मेरा हर दिन
बस एक दिन
याद करता हूँ जिसकी शक्ति
उस ऊर्जा के सहारे है
मेरा हर दिन
बस एक दिन
उसका जो करता है सब पूरा
जिसके बिना अधूरा
मेरा हर दिन
बस एक दिन
आधी कायनात के लिए
जिसके साये में गुजरता
मेरा हर दिन
बस एक दिन ....
.....रजनीश (08.03.15).....
.........अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
.
रंग लगे भंग चढे
अबीर और गुलाल उड़े
खेलें सब मिलके
रंग भरी होली
ढ़ोल बजे रंग सजे
नाचें सब धूम मचे
खेलें सब मिलके
उमंग भरी होली
रंगों से राह पटे
गुझिया मिठाई बंटे
खेलें सब मिलके
स्वाद भरी होली
प्यार बढ़े बैर घटे
बेरंग ना कोई बचे
खेलें सब मिलके
खुमार भरी होली
हाथों में रंग लिए
दिल से आज दिल मिलें
खेलें सब मिलके
प्यार भरी होली
....रजनीश (06.03.15)
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ....
अच्छे दिन की आस में बीत गए कई माह
आओ खोजें उन्हें लगता भूल गए हैं राह
उठती-गिरती पेट्रोल की कीमत साँपसीढ़ी का खेल
अब पैदल चलना सीखो छोड़ो मोटर गाड़ी रेल
कहाँ बचाएं कहाँ लगाएँ जो थोड़ा सा अपने पास
वही पुराना दर्द लिए देखो भटके मिडिल-क्लास
सपनों के बाजार में लुट गई जेब हम ढेर
सौदागर राजा बने अब तो नहीं हमारी खैर
पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....