Monday, June 5, 2017

पर्यावरण दिवस













पर्यावरण दिवस
की जरूरत
तय  हो  गयी थी
उसी वक्त
जब पहली बार
पत्थर रगड़कर
आग बनाई थी हमने
पेड़ कभी याद आएंगे
तय हो गया था
उसी वक्त
जब पहला पेड़
काटा था हमने
बेदम हो जाएंगी साँसे
तय हो गया था
उसी वक्त
जब जल से हटकर
कोई द्रव
बनाया था हमने
शोषण होगा धरा का
ये तय हो गया था
उसी वक्त
जब कुछ तलाशने
पहली बार चीर
छाती धरा की
एक गड्ढा बनाया था हमने
ये सब तय था
क्योंकि हमारी दौड़ ही है
अधिक से अधिक
पा लेने की
जीवकोपार्जन के नाम पर
दोहन हमारा स्वभाव ,
दिमाग चलता है हमारा,
एक होड़ के शिकार हैं हम
क्योंकि,
विकासशील हैं हम
आविष्कारक हैं
अन्वेषक हैं
प्रगतिशील हैं
प्रबुद्ध और सर्वोत्कृष्ट
प्रजाति हैं हम
हमारी जरूरतें
हमारी जिम्मेदारियों से
हमेशा आगे रहीं हैं,
तो अब मनाते रहें
पर्यावरण दिवस
                ••••••रजनीश (05/06/17)

8 comments:

HARSHVARDHAN said...

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जन्म दिवस : सुनील दत्त और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

Jyoti khare said...

सुंदर और सार्थक सच को उजागर करती रचना
बधाई

सु-मन (Suman Kapoor) said...

बहुत बढ़िया

दिगम्बर नासवा said...

बहुत प्रभावी रचना ही ... गहन चिंतन के साथ ...

रजनीश तिवारी said...

धन्यवाद

रजनीश तिवारी said...

धन्यवाद

रजनीश तिवारी said...
This comment has been removed by the author.
रजनीश तिवारी said...
This comment has been removed by the author.
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